
📰 ट्रंप Vs मस्क: अमेरिका की सियासत और कारोबार में टकराव की ताज़ा जंग
वाशिंगटन डीसी, 7 जून:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दुनिया के सबसे अमीर शख्सियतों में शुमार एलन मस्क के बीच खटास अब खुलकर सामने आ चुकी है। दोनों के बीच जुबानी जंग ने ऐसा मोड़ ले लिया है, जिसने अमेरिकी राजनीति और कॉर्पोरेट दुनिया में हलचल मचा दी है।
शुरुआत एक आर्थिक नीति से हुई, लेकिन अब मामला निजी हमलों और कारोबारी धमकियों तक पहुंच चुका है। ट्रंप ने एलन मस्क के संघीय सरकार से जुड़े सौदों की समीक्षा की धमकी दी है, तो मस्क ने राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ महाभियोग (इम्पीचमेंट) लाने की मांग कर डाली।
🔍 क्या है विवाद की जड़?
दरअसल, ट्रंप प्रशासन का नया ‘टैक्स एंड स्पेंडिंग बिल’ इस टकराव की मूल वजह बना है। इस बिल को लेकर मस्क ने पहले ही अपनी नाराजगी जताई थी। जबकि ट्रंप इसे “बिग एंड ब्यूटीफुल बिल” बताते हैं, जो टैक्स में कटौती, कर्ज़ सीमा बढ़ाने और सरकारी लाभों में सख़्ती की बात करता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बिल अमेरिका के बजट घाटे को करीब 600 अरब डॉलर तक बढ़ा सकता है। हाउस ऑफ रिपब्लिकन्स से मुश्किल से पास होने के बाद अब यह बिल सीनेट में विचाराधीन है।
🗣️ ट्रंप बोले – मस्क का दिमाग ख़राब हो गया है
आज ट्रंप ने अमेरिकी मीडिया से बातचीत में मस्क को “एक ऐसा शख्स बताया, जिसका दिमाग खराब हो गया है।” वहीं, मस्क की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
⚡ मस्क का तीखा पलटवार
मस्क ने सोशल मीडिया पर ट्रंप पर “एहसान फरामोशी” का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा:
“मेरे बिना, ट्रंप चुनाव हार जाते।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी कंपनियों की फंडिंग में कटौती की गई तो वह सीधे राष्ट्रपति के खिलाफ कदम उठाएंगे।
🤝 क्या होगी सुलह?
हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने दोनों के बीच सुलह की वकालत की है। उन्होंने कहा,
“अगर ट्रंप और मस्क के बीच सब ठीक हो गया, तो यह पार्टी और देश – दोनों के लिए बेहतर होगा।”
हालांकि, व्हाइट हाउस ने बीबीसी को स्पष्ट किया कि ट्रंप आज मस्क से किसी तरह की बात नहीं करेंगे।
इस बीच, अमेरिकी मीडिया में यह रिपोर्ट भी तैर रही है कि ट्रंप अपनी टेस्ला कार बेचने पर विचार कर रहे हैं — यह कदम भी सीधे-सीधे मस्क को चुनौती देने के रूप में देखा जा रहा है।
📌 विश्लेषण: राजनीति बनाम पूंजी
ट्रंप और मस्क का यह टकराव महज़ दो व्यक्तियों की लड़ाई नहीं, बल्कि अमेरिकी राजनीति और टेक्नोलॉजी की दुनिया में वर्चस्व की जंग का प्रतीक है। एक तरफ सत्ता का रुख है, दूसरी ओर निजी पूंजी का बोलबाला। सवाल है — किसका पलड़ा भारी रहेगा?