अडाणी ग्रुप की सहायक कंपनी Adani Defence Systems & Technologies Limited (ADSTL) पर आयात से जुड़ा एक नया विवाद सामने आया है। आरोप है कि कंपनी ने मिसाइल सिस्टम में इस्तेमाल होने वाले कुछ पुर्ज़ों को गलत श्रेणी में दर्शाकर आयात शुल्क (कस्टम ड्यूटी) में राहत हासिल की।
मामले की पृष्ठभूमि
सूत्रों के अनुसार, राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने जांच में पाया कि कुछ आयातित पुर्ज़ों को “सामान्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण” के रूप में घोषित किया गया, जबकि वे रक्षा उपयोग के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए मिसाइल सिस्टम के कॉम्पोनेंट्स थे। इस वर्गीकरण में बदलाव से कंपनी को कम टैक्स दर का लाभ मिला।
DRI की जांच और कार्रवाई
DRI ने कंपनी से संबंधित कई दस्तावेज़ों और आयात रिकॉर्ड की जांच की है। शुरुआती निष्कर्षों में यह संकेत मिला है कि कुछ आयातों में कस्टम श्रेणीकरण गलत बताया गया, जिससे सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंच सकता है।
अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा गया है, और यदि जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो शुल्क की वसूली और दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
कंपनी का पक्ष
अडाणी डिफेन्स ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उन्होंने सभी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है, और किसी भी प्रकार की गलती “तकनीकी वर्गीकरण के अंतर” के कारण हुई है, न कि टैक्स चोरी की नीयत से।
कंपनी ने यह भी कहा कि वह जांच एजेंसियों के साथ पूरी तरह सहयोग कर रही है और सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय
रक्षा क्षेत्र के विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे मामलों में तकनीकी वर्गीकरण की जटिलता आम बात है, क्योंकि रक्षा सामग्री के पुर्ज़ों का उपयोग कई स्तरों पर होता है। हालांकि, यदि यह साबित होता है कि गलत वर्गीकरण जानबूझकर किया गया था, तो यह गंभीर कर उल्लंघन माना जाएगा।
आगे की राह
DRI की जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि मामला टेक्निकल एरर का है या जानबूझकर की गई टैक्स बचत का प्रयास।
वर्तमान में केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय दोनों इस प्रकरण पर करीबी नज़र रखे हुए हैं, क्योंकि यह मामला रक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और आत्मनिर्भरता के मुद्दे से भी जुड़ा है।
संपादकीय टिप्पणी:
यह मामला अभी जांच के अधीन है। किसी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी। पारदर्शिता और जवाबदेही की दृष्टि से, कंपनियों और एजेंसियों दोनों से अपेक्षा की जाती है कि वे तथ्य सार्वजनिक करें और जांच प्रक्रिया को सहयोग दें।
