भारत की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियाँ — Amazon, Flipkart, Myntra और Walmart — एक बार फिर प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India – CCI) की निगरानी में हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म पर चयनित विक्रेताओं (preferred sellers) को अनुचित रूप से प्राथमिकता दी, जिससे बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई।
मामले की पृष्ठभूमि
प्रतिस्पर्धा आयोग को मिली शिकायतों में कहा गया है कि इन कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ विक्रेताओं को एल्गोरिदमिक और विज्ञापन लाभ दिया — यानी उनके उत्पादों को सर्च रिज़ल्ट्स, डिस्काउंट ऑफर्स और प्रमोशन में ज्यादा दृश्यता (visibility) मिली।
यह भी आरोप है कि इन विक्रेताओं में से कुछ कंपनियों के अप्रत्यक्ष साझेदार या निवेश प्राप्त इकाइयाँ हैं।
CCI की जांच और रुख
CCI ने इन आरोपों को लेकर प्राथमिक जांच (preliminary inquiry) शुरू की है।
जांच में यह देखा जा रहा है कि क्या ये प्लेटफॉर्म अपने नियंत्रण वाले विक्रेताओं को तरजीह देकर बाकी व्यापारियों के लिए प्रतिस्पर्धा में असमानता पैदा कर रहे हैं।
यदि आरोप साबित होते हैं, तो यह भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत “दुरुपयोग की स्थिति” (abuse of dominant position) माना जा सकता है।
कंपनियों का पक्ष
Amazon और Flipkart दोनों ने कहा है कि उनके प्लेटफॉर्म पर सभी विक्रेताओं को समान अवसर दिए जाते हैं, और एल्गोरिदम “निष्पक्षता और ग्राहक हितों” के आधार पर कार्य करता है।
Myntra और Walmart ने भी बयान जारी कर कहा कि वे सभी नियामक प्रावधानों का पालन कर रहे हैं और किसी भी जांच में पूरा सहयोग देंगे।
उद्योग विश्लेषण
ई-कॉमर्स क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि डेटा-संचालित एल्गोरिदम और प्लेटफॉर्म नियंत्रण के कारण इन कंपनियों को विक्रेताओं की दृश्यता पर प्रभाव डालने की क्षमता मिल जाती है।
हालाँकि, यह तय करना मुश्किल है कि प्राथमिकता व्यावसायिक रणनीति का हिस्सा है या प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार — यही जांच का मुख्य बिंदु रहेगा।
आगे की दिशा
CCI की रिपोर्ट आने के बाद यह तय होगा कि क्या इन कंपनियों के खिलाफ औपचारिक आरोपपत्र (charge sheet) दाखिल किया जाएगा।
यह मामला भारत में डिजिटल मार्केट्स के नियमन और प्लेटफॉर्म निष्पक्षता को लेकर चल रही बहस को और गहरा कर सकता है।
संपादकीय टिप्पणी:
ई-कॉमर्स क्षेत्र भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का आधार बन चुका है। ऐसे में यह आवश्यक है कि पारदर्शिता, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए — चाहे वह घरेलू कंपनी हो या विदेशी निवेश वाली।
