
📰 हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक पर कोर्ट की अस्थायी रोक, ट्रंप प्रशासन को झटका
वॉशिंगटन डीसी/मैसाचुसेट्स, 7 जून:
अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के दाखिले पर रोक लगाने के ट्रंप प्रशासन के फैसले को संघीय जज एलिसन बरो ने अस्थायी तौर पर रोक दिया है। यह फ़ैसला हार्वर्ड द्वारा गुरुवार को दायर मुकदमे के बाद आया है।
जज एलिसन बरो, जो मैसाचुसेट्स की अदालत में न्यायाधीश हैं, ने स्पष्ट किया कि अगर यह प्रतिबंध लागू होता है, तो इससे अमेरिका की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था को “तत्काल और अपूरणीय क्षति” हो सकती है।
⚖️ क्या है मामला?
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में प्रस्तावित किया था कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर अस्थायी रोक लगाई जाए। प्रशासन का दावा था कि यह कदम “राष्ट्रीय सुरक्षा” के लिहाज से ज़रूरी है।
इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए हार्वर्ड ने अदालत का रुख किया और कहा कि यह “जानबूझकर की गई कार्रवाई है”, जिसका उद्देश्य संस्था की अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाना है।
🇮🇳 भारतीय छात्रों पर क्या असर पड़ेगा?
भारत से हर साल हज़ारों छात्र हार्वर्ड समेत अमेरिका की अन्य प्रमुख यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ाई के लिए जाते हैं। यदि यह प्रतिबंध लागू होता, तो इसके कारण
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F1 स्टूडेंट वीज़ा में रुकावट आती,
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कई छात्रों के प्रवेश पत्र (admission letters) रद्द हो सकते थे,
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और भविष्य की योजनाएं अधर में लटक सकती थीं।
फिलहाल कोर्ट के इस फैसले से भारतीय छात्रों को तत्काल राहत जरूर मिली है, लेकिन मामला पूरी तरह सुलझा नहीं है।
🗣️ ट्रंप की प्रतिक्रिया और आरोप
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस रोक को लेकर नाराजगी जताई है और कहा है कि
“यह प्रतिबंध अमेरिका की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।”
ट्रंप ने हार्वर्ड पर यह भी आरोप लगाया कि वह कैंपस में यहूदी विरोधी गतिविधियों को रोकने में विफल रही है।
📌 बड़ी तस्वीर
इस मामले ने अमेरिका में शिक्षा, सुरक्षा और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर नई बहस छेड़ दी है। एक तरफ विश्वविद्यालयें अपने अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए खड़ी हैं, तो दूसरी ओर सरकार “सुरक्षा” के नाम पर नीतियों को सख्त करने पर अड़ी है।